मंगल भात पूजा व अनुष्ठान
जातक की जन्म कुण्डली में स्थित तथा नवमांश में स्थित एवं मंगल महादशा में स्थित भौम की दुर्योग की निवृत्ति युवं सुयोग तथा व्यापार व्यवसाय व प्रापर्टी मै अतुल वृद्धि हेतु मंगल (भौम) का मांगलिक होना नितान्त आवश्यक है। अतः इसके लिए मंगलभात पूजा का शास्त्रीय वैदिक रीति से विधान सम्पन्न कराये जाते हैं, व मंगल की दशा महादशा- अन्तर्दशा से उत्पन्न दुर्योग निवृत्ति हेतु वैदिक विद्वानों के माध्यम से जप शान्ति व गृहशान्ति का अनुष्ठान सम्पन्न करवाया जाता है तथा विवाह में बालक-बालिका के मांगलिक होने की स्थिति में नवयुगल के जीवन में सुख समृद्धि हो इसके लिए पूर्ण वैदिक रीति से मंगल शान्ति विधान किया जाता है।